Description:झारखंड के रचनाकार शुरू से ही शिक्षा, साहित्य, समाज और राजनीति में उपेक्षित रहे हैं। मुंडारी के प्रथम लेखक-उपन्यासकार मेनस ओड़ेया हों, हिंदी की पहली आदिवासी कवयित्री और संपादक सुशीला सामद हों या नागपुरी के धनीराम बक्शी, ऐसे सभी झारखंडी-लेखकों और साहित्य साधकों का जीवन और कृतित्व अलिखित दुनिया के अँधेरे में समाया हुआ है। रघुनाथ मुर्मू, प्यारा केरकेट्टा, लको बोदरा पर हिंदी में एकाध पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, लेकिन फादर पीटर शांति नवरंगी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर जिस तरह का महत्त्वपूर्ण शोध और उसका प्रकाशन हुआ है, अन्य झारखंडी लेखकों-साहित्यकारों पर नहीं हो सका है। झारखंड के राँची, धनबाद और जमशेदपुर से विपुल मात्रा में पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित होती रही हैं, परंतु इन पत्र-पत्रिकाओं में झारखंडी रचनाकारों के साक्षात्कारों के लिए जगह नहीं होती। झारखंड अलग राज्य बनने के बाद भी इस स्थिति में कोई मूलभूत बदलाव नहीं आया है। इस पुस्तक में उन पुरखा साहित्यकारों के परिचय व साक्षात्कारों को संकलित किया गया है, जिन्होंने हिंदी और अपनी आदिवासी एवं देशज मातृभाषाओं में झारखंडी साहित्य को विकसित और समृद्ध किया है। इसका उद्देश्य झारखंडी साहित्य के इतिहास में रुचि रखनेवालों को आधारभूत जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि विश्व साहित्य-जगत् हमारे पुरखा रचनाकारों और समकालीन झारखंडी लेखकों के चिंतन और रचनाकर्म से परिचित हो सके।.We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Jharkhand ke Sahityakar Aur Naye Sakshatkar. To get started finding Jharkhand ke Sahityakar Aur Naye Sakshatkar, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
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