Description:देश के चुनिंदा आदिवासी कवियों का यह संग्रह सामुदायिक प्रतिनिधियों के आदिवासी अभिव्यक्ति के सिलसिले की शुरुआत भर है। हिंदी कविता में पहली आदिवासी दस्तक सुशीला सामद हैं; जिनका पहला हिंदी काव्य-संकलन ‘प्रलान’ 1934 में प्रकाशित हुआ। आदिवासी लोग ‘होड़’ (इनसान) हैं और नैसर्गिक रूप से गेय हैं। अभी तक उनका मानस प्रकृति की ध्वनियों और उससे उत्पन्न सांगीतिक विरासत से विलग नहीं हुआ है। ‘होड़’ आदिवासी लोग गेयता और लयात्मकता में जीते हैं जो उन्होंने प्रकृति और श्रम के साहचर्य से सीखा है। प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ ‘गीत’ रचनाएँ नहीं हैं; जो सामूहिक तौर पर रची; गाई; नाची और बजाई जाती हैं। लेकिन आदिवासी कविताओं की मूल प्रकृति ‘गीत’ की ही है; जिसका रचयिता कोई एक नहीं बल्कि पूरा समुदाय हुआ करता है; जिसमें संगीत और नृत्य की अनिवार्य मौजूदगी होती है और जिनके बिना गीतों का कोई अस्तित्व नहीं रहता। संग्रह में शामिल कविताएँ ‘गीत’ सृजन की इस सांगीतिक परंपरा को अपने साथ लेकर चलती हैं और ‘गीत’ नहीं होने के बावजूद ध्वनि-संगीत की विशिष्टता से खुद को गीतात्मक परंपरा से बाहर नहीं जाने देतीं।दुलाय चंद्र मंडा; तेमसुला आओ; ग्रेस कुजूर; वाहरू सोनवणे; रामदयाल मुंडा; उज्ज्वला ज्योति तिग्गा; महादेव टोप्पो; इरोम चानू शर्मिला; हरिराम मीणा; कमल कुमार तांती; निर्मला पुतुल; अनुज लुगुन; वंदना टेटे और जनार्दन गोंड की कविताओं का संकलन।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Lokpriya Aadivasi Kavitayen. To get started finding Lokpriya Aadivasi Kavitayen, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
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