Description:'आजादी' मिली। देश में 'लोकतंत्र' आया। लेकिन इस लोकतंत्र के पिछले पाँच दशकों में उसका सर्जन करनेवाला मतदाता का जीवन लगभग असंभव हो गया। रघुवीर सहाय भारतेीय लोकतंत्र की विसंगतियों को बीच मरते हुए इसी बहुसंख्यक मतदाता के प्रतिनिधि कवि हैं, और इस मतदाता की जीवन- स्थितियों की खबर देनेवाली कविताएँ उनकी प्रतिनिधि कविताएँ हैं। रघुवीर सहाय की कविताओं से गुजरना देश के उन दूरदराज इलाकों से गुजरना है जहाँ आदमी से एक दर्जा नीचे का समाज असंगठित राजनीति का अभिशाप झेल रहा है। १९२९ में ९ दिसंबर को लखनऊ में जन्म। अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. (१९५१) दैनिक 'नवजीवन' में उपसंपादक - सांस्कृतिक संवाददाता (१९४९-५१) 'प्रतिक' (दिल्ली) के सहायक संपादक (१९५१- ५२) आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक (१९५३-५७)'कल्पना' (हैदराबाद) में १९५७-५८। आकाशवाणी (दिल्ली) में विशेष संवाददाता (१९५९-६३)'नवभारत टाइम्स' (दिल्ली) में विशेष संवाददाता (१९६३-६८)समाचार-संपादक, 'दिनमान' (१९६८-६९)प्रधान संपादक, 'दिनमान' (१९६९-८२) १९८२ से १९९० तक स्वतंत्र लेखन। १९९० में ३० दिसंबर को निधन। प्रकाशन :कविता संग्रह - दूसरा सप्तक (१९५१); सीढ़ियों पर धूप में (१९६०); आत्महत्या के विरुद्ध (१९६७); हँसो हँसो जल्दी हँसो (१९७५); लोग भूल गए हैं (१९८२, इसी पुस्तक पर साहित्य अकादमी पुरस्कार); कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ (१९८९)कहानी संग्रह - रास्ता इधर से है (१९७२); जो आदमी हम बना रहे हैं (१९८२)निबंध संग्रह - दिल्ली मेरा परदेस (१९७६); लिखने का कारण (१९७८); ऊबे हुए सुखी; वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे; भँवर लहरें और तरंग (१९८३); अर्थात (१९९४) इनके अलावा दर्जनों अनुवाद।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with प्रतिनिधि कविताएँ. To get started finding प्रतिनिधि कविताएँ, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Description: 'आजादी' मिली। देश में 'लोकतंत्र' आया। लेकिन इस लोकतंत्र के पिछले पाँच दशकों में उसका सर्जन करनेवाला मतदाता का जीवन लगभग असंभव हो गया। रघुवीर सहाय भारतेीय लोकतंत्र की विसंगतियों को बीच मरते हुए इसी बहुसंख्यक मतदाता के प्रतिनिधि कवि हैं, और इस मतदाता की जीवन- स्थितियों की खबर देनेवाली कविताएँ उनकी प्रतिनिधि कविताएँ हैं। रघुवीर सहाय की कविताओं से गुजरना देश के उन दूरदराज इलाकों से गुजरना है जहाँ आदमी से एक दर्जा नीचे का समाज असंगठित राजनीति का अभिशाप झेल रहा है। १९२९ में ९ दिसंबर को लखनऊ में जन्म। अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. (१९५१) दैनिक 'नवजीवन' में उपसंपादक - सांस्कृतिक संवाददाता (१९४९-५१) 'प्रतिक' (दिल्ली) के सहायक संपादक (१९५१- ५२) आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक (१९५३-५७)'कल्पना' (हैदराबाद) में १९५७-५८। आकाशवाणी (दिल्ली) में विशेष संवाददाता (१९५९-६३)'नवभारत टाइम्स' (दिल्ली) में विशेष संवाददाता (१९६३-६८)समाचार-संपादक, 'दिनमान' (१९६८-६९)प्रधान संपादक, 'दिनमान' (१९६९-८२) १९८२ से १९९० तक स्वतंत्र लेखन। १९९० में ३० दिसंबर को निधन। प्रकाशन :कविता संग्रह - दूसरा सप्तक (१९५१); सीढ़ियों पर धूप में (१९६०); आत्महत्या के विरुद्ध (१९६७); हँसो हँसो जल्दी हँसो (१९७५); लोग भूल गए हैं (१९८२, इसी पुस्तक पर साहित्य अकादमी पुरस्कार); कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ (१९८९)कहानी संग्रह - रास्ता इधर से है (१९७२); जो आदमी हम बना रहे हैं (१९८२)निबंध संग्रह - दिल्ली मेरा परदेस (१९७६); लिखने का कारण (१९७८); ऊबे हुए सुखी; वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे; भँवर लहरें और तरंग (१९८३); अर्थात (१९९४) इनके अलावा दर्जनों अनुवाद।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with प्रतिनिधि कविताएँ. To get started finding प्रतिनिधि कविताएँ, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.