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एक साध्वी की सत्ता कथा (Ek Sadhvi Ki Satta Katha)

Unknown Author
4.9/5 (14159 ratings)
Description:उदयपुरम् में मचे राजनीतिक कोलाहल और आपाधापी के उन अस्थिर क्षणों में मथुरा प्रस्थान करने से पूर्व साध्वी ने ‘राष्ट्रहित में हिंसा के विरुद्ध’ राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। उनके लिए यह निर्णायक क्षण थे। एक बड़ा दांव उन्होंने लगा दिया था। जब वे राजमहल से बाहर निकलीं तो महल के प्रवेश द्वार पर पलटकर भीतर उस भित्ति पर अपनी दृष्टि केंद्रित की, जहां महात्मा का विशाल चित्र लगा हुआ था। चित्र के नीचे महात्मा के अंतिम वचन अंकित थे - ‘ईश्वर साक्षी है...।’ सत्ता से बाहर होने पर प्रत्येक मुख्यमंत्री द्वार पर आकर कुछ क्षण ठहरकर महात्मा से दृष्टि अवश्य मिलाता था। साध्वी ने भी महात्मा को करबद्ध प्रणाम किया और द्वार से बाहर आ गईं। एक बार पुनः उन्होंने भावपूर्ण होकर राजमहल को अपने दृष्टि-पटल पर अंकित किया। वे लगभग एक वर्ष ही राजमहल में रह पाई थीं और अब भूतपूर्व मुख्यमंत्री थीं। जब उनके रथ राजमहल के विशाल मुख्य द्वार से बाहर निकले तो वे मौन थीं और उनके नेत्र अश्रुपूरित थे। ‘...अंततः धन की उन्हें भी आवश्यकता है...उन्हें भी अपने पुत्रों को विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए भेजना है...अपनी कन्याओं के विवाह उन्हें भी राजसी ठाट-बाट से करने हैं...महलों के आकार के आवास उन्हें भी चाहिए...आय के अकूत स्रोतों की आवश्यकता उनके परिजनों और संबंधियों को भी है...उनकी पत्नियों और प्रेमिकाओं को ऐश्वर्य के पौष्टिक आहार की जीवनपर्यंत आवश्यकता है...फिर उनकी बिगड़ैल और दिशाभ्रष्ट संतानों की अपनी अपेक्षाएं हैं...जब जनतंत्र में अर्थ की यह महाप्रतापी गंगा बह ही रही है तो वे बेचारे क्यों सत्ता के समृद्ध तट पर सूखे खड़े रहें...यह तो उनके प्रति अन्याय होगा।’ यह स्वर उनका था, जो प्रसिद्ध व्यंग्यकार थे। मदिरा के चार चषक उदर में उतारने के बाद उनका व्यंग्यबोध कुंडलिनी की भांति जाग्रत हो जाता था। इस समय उनकी यही प्रकाशित अवस्था थी।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with एक साध्वी की सत्ता कथा (Ek Sadhvi Ki Satta Katha). To get started finding एक साध्वी की सत्ता कथा (Ek Sadhvi Ki Satta Katha), you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Pages
367
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Rajkamal Prakashan
Release
2008
ISBN
8126716029

एक साध्वी की सत्ता कथा (Ek Sadhvi Ki Satta Katha)

Unknown Author
4.4/5 (1290744 ratings)
Description: उदयपुरम् में मचे राजनीतिक कोलाहल और आपाधापी के उन अस्थिर क्षणों में मथुरा प्रस्थान करने से पूर्व साध्वी ने ‘राष्ट्रहित में हिंसा के विरुद्ध’ राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। उनके लिए यह निर्णायक क्षण थे। एक बड़ा दांव उन्होंने लगा दिया था। जब वे राजमहल से बाहर निकलीं तो महल के प्रवेश द्वार पर पलटकर भीतर उस भित्ति पर अपनी दृष्टि केंद्रित की, जहां महात्मा का विशाल चित्र लगा हुआ था। चित्र के नीचे महात्मा के अंतिम वचन अंकित थे - ‘ईश्वर साक्षी है...।’ सत्ता से बाहर होने पर प्रत्येक मुख्यमंत्री द्वार पर आकर कुछ क्षण ठहरकर महात्मा से दृष्टि अवश्य मिलाता था। साध्वी ने भी महात्मा को करबद्ध प्रणाम किया और द्वार से बाहर आ गईं। एक बार पुनः उन्होंने भावपूर्ण होकर राजमहल को अपने दृष्टि-पटल पर अंकित किया। वे लगभग एक वर्ष ही राजमहल में रह पाई थीं और अब भूतपूर्व मुख्यमंत्री थीं। जब उनके रथ राजमहल के विशाल मुख्य द्वार से बाहर निकले तो वे मौन थीं और उनके नेत्र अश्रुपूरित थे। ‘...अंततः धन की उन्हें भी आवश्यकता है...उन्हें भी अपने पुत्रों को विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए भेजना है...अपनी कन्याओं के विवाह उन्हें भी राजसी ठाट-बाट से करने हैं...महलों के आकार के आवास उन्हें भी चाहिए...आय के अकूत स्रोतों की आवश्यकता उनके परिजनों और संबंधियों को भी है...उनकी पत्नियों और प्रेमिकाओं को ऐश्वर्य के पौष्टिक आहार की जीवनपर्यंत आवश्यकता है...फिर उनकी बिगड़ैल और दिशाभ्रष्ट संतानों की अपनी अपेक्षाएं हैं...जब जनतंत्र में अर्थ की यह महाप्रतापी गंगा बह ही रही है तो वे बेचारे क्यों सत्ता के समृद्ध तट पर सूखे खड़े रहें...यह तो उनके प्रति अन्याय होगा।’ यह स्वर उनका था, जो प्रसिद्ध व्यंग्यकार थे। मदिरा के चार चषक उदर में उतारने के बाद उनका व्यंग्यबोध कुंडलिनी की भांति जाग्रत हो जाता था। इस समय उनकी यही प्रकाशित अवस्था थी।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with एक साध्वी की सत्ता कथा (Ek Sadhvi Ki Satta Katha). To get started finding एक साध्वी की सत्ता कथा (Ek Sadhvi Ki Satta Katha), you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Pages
367
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Rajkamal Prakashan
Release
2008
ISBN
8126716029
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