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Shakti Ki Manyata

Dilip Sinha
4.9/5 (32037 ratings)
Description:विश्व शांति का अनुरक्षण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का सर्वाधिक शक्तिशाली निकाय ‘सुरक्षा परिषद्’ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपनी स्थापना के काल से कभी बाहर नहीं निकल पाया। इस युद्ध के विजेता अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस ने अपनी स्थायी सदस्यता और वीटो की शक्ति के साथ इस पर नियंत्रण बनाए रखा। उनके पारस्परिक टकरावों ने शीत युद्ध के दौरान परिषद् को निर्बल बना दिया तथा उसके उपरांत उनके सहयोग से विवादास्पद सैन्य काररवाइयों को अंजाम दिया गया। यह पुस्तक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग के मूल को तलाशती है तथा अंतरराष्ट्रीय कानून में सुरक्षा परिषद् की शक्तियों की आधारशिला की संवीक्षा करती है। यह स्थायी पाँच देशों द्वारा अपनी वैश्विक प्रधानता को सकारात्मक रूप से सुदृढ़ बनाने और शक्ति के उनके प्रयोग को वैध बनाने के लिए परिषद् का इच्छानुसार प्रयोग करने की समालोचना करती है। इराक, यूगोस्लाविया और लीबिया जैसे देशों में उनके द्वारा लागू सिद्धांतों और काररवाइयों ने एक उत्तरदायी निकाय के रूप में परिषद् के विकास को बाधित किया, जो एक वैश्वीकृत विश्व का भरोसा अर्जित कर सकती थी।यह पुस्तक वृत्तिकों और शोधार्थियों के लिए पठनीय है, ताकि वे सुरक्षा परिषद् और उसमें सुधार करने की उसकी विफलता को भलीभाँति जान सकें।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Shakti Ki Manyata. To get started finding Shakti Ki Manyata, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Pages
368
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Prabhat Prakashan
Release
2019
ISBN
9353226856

Shakti Ki Manyata

Dilip Sinha
4.4/5 (1290744 ratings)
Description: विश्व शांति का अनुरक्षण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का सर्वाधिक शक्तिशाली निकाय ‘सुरक्षा परिषद्’ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपनी स्थापना के काल से कभी बाहर नहीं निकल पाया। इस युद्ध के विजेता अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस ने अपनी स्थायी सदस्यता और वीटो की शक्ति के साथ इस पर नियंत्रण बनाए रखा। उनके पारस्परिक टकरावों ने शीत युद्ध के दौरान परिषद् को निर्बल बना दिया तथा उसके उपरांत उनके सहयोग से विवादास्पद सैन्य काररवाइयों को अंजाम दिया गया। यह पुस्तक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग के मूल को तलाशती है तथा अंतरराष्ट्रीय कानून में सुरक्षा परिषद् की शक्तियों की आधारशिला की संवीक्षा करती है। यह स्थायी पाँच देशों द्वारा अपनी वैश्विक प्रधानता को सकारात्मक रूप से सुदृढ़ बनाने और शक्ति के उनके प्रयोग को वैध बनाने के लिए परिषद् का इच्छानुसार प्रयोग करने की समालोचना करती है। इराक, यूगोस्लाविया और लीबिया जैसे देशों में उनके द्वारा लागू सिद्धांतों और काररवाइयों ने एक उत्तरदायी निकाय के रूप में परिषद् के विकास को बाधित किया, जो एक वैश्वीकृत विश्व का भरोसा अर्जित कर सकती थी।यह पुस्तक वृत्तिकों और शोधार्थियों के लिए पठनीय है, ताकि वे सुरक्षा परिषद् और उसमें सुधार करने की उसकी विफलता को भलीभाँति जान सकें।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Shakti Ki Manyata. To get started finding Shakti Ki Manyata, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
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368
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
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Prabhat Prakashan
Release
2019
ISBN
9353226856

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