Description:आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी उन विरल रचनाकारों में हैं जिनकी कृतियाँ उनके जीवन–काल में ही क्लासिक बन जाती हैं। अपनी जन्मजात प्रतिभा के साथ उन्होंने शास्त्रों का अनुशीलन और जीवन को सम्पूर्ण भाव से जीने की साधना करके वह पारदर्शी दृष्टि प्राप्त की थी, जो किसी कथा को आर्ष–वाणी की प्रतिष्ठा देने में समर्थ होती है। जिस मनीषी ने हजारों साल से कायरता का पाठ दोहराती हुई जाति को ललकारकर कहा था ‘‘सत्य के लिए किसी से भी न डरना, गुरु से भी नहीं, मंत्र से भी नहीं, लोक से भी नहीं, वेद से भी नहीं।’’ वह कोई सामान्य कथाकार नहीं है। ऐसा उद्घोष कोई आर्षवक्ता ही कर सकता है। ग्रन्थावली के इस पहले खंड में द्विवेदीजी के दो उपन्यास बाणभट्ट की आत्मकथा और चारु चन्द्रलेख प्रस्तुत हैं। बाणभट्ट की आत्मकथा का कथानायक कोरा भावुक कवि नहीं, वरन् कर्मनिरत और संघर्षशील जीवन–योद्धा है। उसके लिए ‘शरीर केवल भार नहीं, मिट्टी का ढेला नहीं’, बल्कि उससे बड़ा है और उसके मन में ‘आर्यावर्त के उद्धार का निमित्त बनने’ की तीव्र बेचैनी है। चारु चन्द्रलेख में बारहवीं–तेरहवीं शताब्दी के उस काल का सर्जनात्मक पुनर्निर्माण करने का प्रयत्न है, जब सारा देश आन्तरिक कलह से जर्जर और तांत्रिक साधना के मोह में पथभ्रष्ट होकर समस्याओं का समाधान पारे और अभ्रक के खरल–संयोगों में खोज रहा था। द्विवेदीजी ने इसके विरुद्ध ज्ञान, इच्छा एवं क्रिया के त्रिकोणात्मक सामंजस्य तथा जनसाधारण की हिस्सेदारी पर बल दिया है, और उनकी इस स्थापना में अनायास ही आधुनिक युग मुखर हो उठता है।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली: खंड 1-12. To get started finding हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली: खंड 1-12, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
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